Soumitra Roy
कांग्रेस की नाव में देखते ही देखते इतने छेद दिखने लगे हैं कि एक को बंद करें तो दूसरा निकल आता है। कांग्रेस के लिए देश का सबसे सुरक्षित राज्य माना जाने वाला छत्तीसगढ़ भी सिंधिया और पायलट से अछूता नहीं है।
हालांकि यह सब देखते ही देखते नहीं हुआ। आज राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने यह कहकर पूरी तस्वीर साफ कर दी कि उनकी सचिन पायलट के साथ सालभर से बात नहीं हुई। जाहिर है संवादहीनता की यह स्थिति भीतर से तोड़ रही है। फिर भी छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने 90 में से 69 सीटें जीतने के बाद 44 विधायकों के अरमान पूरे किए हैं।
मंत्री से लेकर संसदीय सचिवों तक पद बांटे गए हैं। बीते 3 दिन में कुछ और विधायकों को "लाभ" के पद से नवाजा गया है। फिर भी सिंधिया और पायलट के उभरने की आशंका के चलते एमपी के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को मिशन लोटस के जवाब में रायपुर पहुंचना पड़ा। राज्य में भूपेश बघेल को चुनौती देने वाले दो नेताओं- चरणदास महंत और टीएस सिंहदेव से उनकी मुलाकात को राजस्थान की उठापटक से जोड़कर देखा जा रहा है।
बघेल सियासत में महंत से जूनियर हैं। सिंहदेव पुराने कांग्रेसी हैं। लेकिन राज्य में कुछ बड़े नेता विधायक बनकर भी मलाईदार पदों से वंचित हैं और यही लॉबी पार्टी को परेशान कर रही है। राजनीति की यह बदहाली बहुत कुछ सिखाती है। चुनाव में पानी की तरह बहाया जाने वाला पैसा 5 साल में किस तरह वसूल हो, फिक्र का प्रमुख विषय है।
अधिकार अब काफी हद तक केंद्रित हो रहे हैं। सत्ता का यह केंद्रीकरण छटपटाहट पैदा कर रहा है। हाल तो बीजेपी का भी कुछ खास अच्छा नहीं है। पार्टी के पास नेतृत्व की कमी है। उसे बार-बार कांग्रेस की तरफ देखना पड़ता है। लेकिन अहम यह है कि देश की सबसे पुरानी पार्टी अच्छे नेताओं को जोड़कर नहीं रख पा रही है। लगता है कि नाव में अभी कुछ और छेद होने हैं।
कांग्रेस की नाव में देखते ही देखते इतने छेद दिखने लगे हैं कि एक को बंद करें तो दूसरा निकल आता है?
Reviewed by CARE OF MEDIA
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July 17, 2020
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